
जानवरों के साथ करें अच्छा व्यवहार-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ एवं जीव दया स०स० शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि भारत में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस ऐक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस ऐक्ट में शामिल हैं। जैसे, अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है, या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि अगर कोई किसी पशु को मनोरंजन के लिए अपने पास रखता है और उसके साथ क्रूरता का व्यवहार करता है तो वह भी अपराध है। ये सभी संज्ञेय और जमानती अपराध होते हैं, जिनकी सुनवाई कोई भी मैजिस्ट्रेट कर सकता है। ऐसे अपराधों के लिए कम से कम 10 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक एवं जीव दया स०स० डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ आरती शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, एडवोकेट बीना आदि ने कहा कि पशुओं पर क्रूरता को रोकने के लिए संबंधित कानूनों का सख्ती से पालन कराएं। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाएं स्थानीय प्रशासन से सामंजस्य स्थापित कर आवारा पशुओं के लिए आवास, भोजन, जल, चिकित्सा जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। कोई व्यक्ति
किसी पशु को पीटता है, लात मारता है, उस पर सवार होता है, उस पर अधिक भार डालता है, उसे यातना देता है या अन्यथा ऐसा व्यवहार करता है जिससे उसे अनावश्यक दर्द या पीड़ा हो या मालिक होने के नाते किसी पशु के साथ ऐसा व्यवहार करने की अनुमति देता है। पशु क्रूरता है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ